Sunday, December 25, 2016

Jarga ji ka itihas

-: रिख  जरगाजी  का सम्पूर्ण इतिहास :- 


धन  दौलत ना चाहिए , ना  चाहिए  घर -बार। 
केवल जरगा नाम हो , अलख  का आधार ॥  

-:जय मेघ महा धर्म :-

अरावली पर्वत श्रृंखला में मेघवंश भक्त शिरोमणि दरगाजी (जरगाजी ) की कर्मभूमि हैं। 
करीब दो हज़ार वर्ष पूर्व ज्येष्ठ सुदी बीज़ शनिवार (चन्द्रावली  बीज ) के दिन गाँव गायफल, पं. स.- सायरा, तहसील- गोगुन्दा,जिला-उदयपुर(राजस्थान ) मेघवाल परिवार  में हुआ। 
भक्त शिरोमणि दरगाजी (जरगाजी ) के माता-पिता का नाम क्रमशः पदमोजी और पोनीबाई  था, जरगाजी का जन्म हुआ तब पूरा घर प्रकाशित हुआ। 
जरगाजी जब थोड़े बड़े हुए तब उनकी सगाई ग्राम- काकरवा (कुम्भलगढ़ ) में तय की, दरगाजी की  बारात पहुँची, तब दरगाजी ने  शादी  से इनकार कर दिया, जिन कन्या के साथ उनकी शादी होनी थी उसे धर्म की बहिन बना दी । खाली बारात  वापस घर लौट आयें । 
 उस समय के पश्चात् उनका मन भक्ति-भाव में लग गया और घर-बार छौड़कर अलख-धणी  की तपस्या में निकल गए और विक्रम संवत ११३ में अलख-धणी प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा तो भक्तराज दरगाजी ने उत्तर दिया "धाम धणियो की और नाम जरगा मांगा"। 
 तब अलख भगवान् ने कहाँ हे! भक्तराज आज से मेरे नाम से आगे तेरा नाम आयेगा तथास्तू आज से जळगा रा धणी (जरगा रा धणी ) नाम से पुकारा जाएगा और  अंतर ध्यान हो गए।
इसीलिए आज भी कहते हैं जरगा रा धणी

2 comments:

  1. जय जरगा था धणी।

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  2. मेघवाल समाज में इतने बड़े संत हुए जरगा जी। राजस्थान में मेघवाल जाति में सैंकड़ों सिद्ध संत हुए हैं। तुम लोग जरगा जी का सच्चा इतिहास पता कर के फिर लिखो। ये फालतू की बकवास, अनपढ़ लोगों की तरह फालतू की अंधविश्वास की बातें मत लिखो। मेघवाल संतो का मजाक मत बनाओ, ऐसी निरर्थक बातों को जरगा जी का इतिहास मत बनाओ।

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